दोस्तों, आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे कंप्यूटर की पीडिया (Computer ki Pidiya) या कहें (Generation of Computer) की, कंप्यूटर को जैसा आज हम देखते है. ये पहले से ऐसा नहीं था. इसका विकास जैसे-जैसे समय व्यतित होता गया. पढ़ी दर पीढ़ी कंप्यूटर मशीन का विकास होता गया.
साथियों, कंप्यूटर का विकास कई सालो में हुआ है. इसका विकास 1942 से लेकर 1988 के समय में हुआ है और आज तक भी कंप्यूटर में कुछ न कुछ नया फीचर आता रहता है फिर भी कंप्यूटर मशीन के विकास को 5 पीढ़ियों में विभाजित किया गया है.
"Computer" की पांचों पीढ़ियों को समझने के लिए आपको मेरी पोस्ट को अंत तक पढ़ना होगा। जिससे की आप अच्छे से समझ सके, तो चलिए आपको कम्प्यूटर का परिचय करवाते है कि इसका विकास कैसे हुआ.
कंप्यूटर की 5 पीढ़ियाँ और विकास- Computer ki Pidiya in Hindi
दोस्तों, आपने जैसा ऊपर पढ़ा कि कंप्यूटर का विकास कुल पाँच पीढ़ियों में हुआ है। इन पाँचों पीढ़ियों के दौरान कंप्यूटर मशीन में कई प्रकार के बदलाव आए। इनमें उसके उपकरण (Components) और उपयोग की जाने वाली भाषा (Language) में भी लगातार परिवर्तन होता गया। इसी कारण कंप्यूटर का आकार छोटा होता गया और उसके परिणामों की शुद्धता (Accuracy) बढ़ती गई।
यहाँ मैं आपको इन पाँचों पीढ़ियों में हुए महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में बताऊँगा, जैसा कि आप आगे देखेंगे।
Computer First Generation in Hindi (1942-1956)
दोस्तों, प्रथम पीढ़ी (Computer First Generation in Hindi) के कंप्यूटरों में इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट के रूप में वैक्यूम ट्यूब और डाटा स्टोरेज के लिए चुंबकीय ड्रम का उपयोग किया जाता था। लेकिन इन कंप्यूटरों की एक बड़ी समस्या यह थी कि इनका आकार बहुत बड़ा होता था। इन्हें रखने के लिए एक पूरे कमरे की आवश्यकता पड़ती थी। ये बेहद महंगे भी थे और बहुत अधिक गर्मी उत्पन्न करते थे।
अधिक गर्मी पैदा होने के कारण इन्हें ठंडा करना बहुत आवश्यक होता था, और इनका रखरखाव भी काफी कठिन था। इन कंप्यूटरों को चलाने के लिए मशीन भाषा का उपयोग प्रोग्रामिंग भाषा के रूप में किया जाता था। प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों में इनपुट पंच कार्ड और कागज़ की टेप के माध्यम से दिया जाता था। यह कंप्यूटर एक समय में केवल एक ही समस्या का समाधान कर सकते थे।
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| Computer ki Pidiya in Hindi - First Pidhi |
Computer Second Generation in Hindi (1956-1965)
दूसरी पीढ़ी (Computer Second Generation in Hindi) के कंप्यूटरों में इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट के रूप में ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया। ट्रांजिस्टर पहले की तुलना में अधिक कुशल, तेज, कम बिजली की खपत करने वाले, सस्ते और विश्वसनीय थे। हालांकि ये कंप्यूटर भी गर्मी पैदा करते थे, लेकिन पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में अधिक विश्वसनीय थे।
इस पीढ़ी में मुख्य मेमोरी के रूप में चुंबकीय कोर (Magnetic Core Memory) और स्टोरेज के लिए चुंबकीय टेप तथा चुंबकीय डिस्क का उपयोग किया गया। इसी पीढ़ी में COBOL (Common Business Oriented Language) और FORTRAN (Formula Translation) जैसी उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं की शुरुआत हुई।
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Computer Third Generation in Hindi (1965-1975)
तीसरी पीढ़ी (Computer Third Generation) के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग किया गया। एक ही IC में ट्रांजिस्टर, रजिस्टर और कैपेसिटर जैसी अनेक इलेक्ट्रॉनिक इकाइयों को एक साथ संगठित किया जा सकता था। इसी वजह से कंप्यूटर का आकार और अधिक छोटा बनाया जा सका।
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में इनपुट और आउटपुट के लिए कीबोर्ड तथा मॉनिटर का उपयोग शुरू हुआ। ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास भी इसी अवधि में हुआ, और इसी पीढ़ी में टाइम-शेयरिंग तथा मल्टी-प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत की गई।
इस पीढ़ी में कई नई उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास हुआ, जैसे—FORTRAN IV, PASCAL, BASIC आदि।
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Computer Fourth Generation in Hindi (1975-1988)
दोस्तों, चतुर्थ पीढ़ी (Computer Fourth Generation) के कंप्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का विकास हो चुका था। माइक्रोप्रोसेसर वह तकनीक है। जिसमें हजारों इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) को एक ही सिलिकॉन चिप पर निर्मित किया जा सकता है। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में बड़े पैमाने पर VLSI (Very Large Scale Integration) तकनीक का उपयोग किया गया।
वर्ष 1971 में इंटेल द्वारा 4004 माइक्रोप्रोसेसर विकसित किया गया था। इस चिप में एक कंप्यूटर के सभी प्रमुख घटक एक ही स्थान पर मौजूद थे। इस तकनीक के कारण छोटे आकार के कंप्यूटरों का निर्माण संभव हुआ, जिन्हें बाद में डेस्कटॉप कंप्यूटर या पर्सनल कंप्यूटर (PC) कहा गया।
इस पीढ़ी में टाइम-शेयरिंग, रियल-टाइम प्रोसेसिंग और डिस्ट्रीब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया। साथ ही इस समय उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं और डेटाबेस तकनीक का भी तेजी से विकास हुआ। इस पीढ़ी में C और C++ जैसी भाषाएँ व्यापक रूप से उपयोग में आईं।
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| Computer ki Pidiya in Hindi - Fourth Pidhi |
Computer Fifth 5th Generation in Hindi (1988 से अब तक)
पाँचवीं पीढ़ी (Computer Fifth / 5th Generation) वर्तमान समय की पीढ़ी है, जिसका विकास लगातार जारी है। इस पीढ़ी के कंप्यूटर अत्यधिक आधुनिक, तेज, शक्तिशाली और विश्वसनीय हैं। इस पीढ़ी में ULSI (Ultra Large Scale Integration) तकनीक का उपयोग किया गया, जिसमें एक छोटी सी माइक्रोप्रोसेसर चिप पर लगभग 10 लाख तक इलेक्ट्रॉनिक घटक समाहित किए जा सकते हैं।
ULSI तकनीक के कारण कंप्यूटर का आकार और भी छोटा होता गया, वहीं इसकी गति, क्षमता और विश्वसनीयता तेज़ी से बढ़ी। इस पीढ़ी में उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे JAVA, Visual Basic (VB) और .NET जैसी आधुनिक भाषाओं का विकास और उपयोग शुरू हुआ।
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| Computer ki Pidiya in Hindi - Fifth Pidhi |
साथियों, कंप्यूटर मशीनों के विकास में निरंतर प्रगति के कारण कंप्यूटर आज और भी अधिक उपयोगी हो गया है। कंप्यूटर का प्रयोग हमारे जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसने हमारे दैनिक जीवन की कई कठिनाइयों को आसान बना दिया है।
दोस्तों, अब मुझे विश्वास है कि आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि कंप्यूटर का विकास पाँच पीढ़ियों में कैसे हुआ। यदि आपको मेरी पोस्ट Computer ki Pidiya in Hindi, Computer Generation in Hindi और कंप्यूटर के विकास संबंधी जानकारी अच्छी लगी हो, तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके ज़रूर बताएं.. धन्यवाद!
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