Computer Virus Kya Hai I Types of Computer Virus Names in Hindi I यह कितने प्रकार के होते हैं

कम्प्यूटर वायरस क्या होता है (What is Computer Virus in Hindi) - आमतौर पर जब Computer के क्षेत्र में विषाणु/वायरस (Virus) की बात आती है, तो गलती से हम उस वायरस की कल्पना कर लेते हैं. जो हमें बुखार और दूसरी बीमारियों से ग्रस्त/परेशान करता रहता है. वास्तविकता यह नहीं है. Types of Computer Virus in Hindi यह कितने प्रकार के होते है. 

Computer Virus Kya Hota Hai Hindi
Computer Virus Kya Hota Hai Hindi

Computer Virus कोई सजीव नहीं है. जो हमारे शरीर को प्रभावित करता है. कंप्यूटर में जो वायरस का नाम दिया गया है. उसके कुछ महत्वपूर्ण लक्षणों के कारण दिया गया है. आज हम इसी के लिए जानेगे कि कंप्यूटर वायरस क्या होता है (What is Computer Virus).

कंप्यूटर वायरस क्या होता है - (What is Computer Virus in Hindi)

दोस्तों, क्या आपको पता है की कंप्यूटर वायरस क्या होता है . Computer Virus एक छोटा Program होता है जो जब कंप्यूटर में प्रवेश करता है यह इसके पहले से स्थापित प्रोग्रामों (Installed Programs) में सम्मिलित होकर इसके कार्य में बाधा डालने का प्रयास करता है, ठीक सजीव Virus की तरह जो हमारे शरीर में प्रवेश पाने के बाद हमारी कार्य करने की शक्ति को प्रभावित करता है. यह किस-किस प्रकार के Computer कार्यों को प्रभावित करता है.

  • कंप्यूटर में उपयोगी सूचनाएं (Important Files) नष्ट होना.
  • Directory में बदलाव करना Hard Disk व Floppy Disk को फॉर्मेट करना.
  • कंप्यूटर की गति कम कर देना.
  • कीबोर्ड की कुंजियों (Keys) का कार्य बदल देना.
  • प्रोग्राम तथा अन्य फाइलों का डाटा बदल देना.
  • फाइलों को क्रियान्वित होने से रोक देना.
  • स्क्रीन पर बेकार की सूचनाएं देना.
  • बूट सेक्टर में प्रविष्ट होकर कंप्यूटर को कार्य न करने देना.
  • फाइलों के आकार को परिवर्तित कर देना आदि.

जब किसी वायरस युक्त प्रोग्राम को क्रियान्वित किया जाता है, तो यह कंप्यूटर की प्राइमरी मेमोरी में क्रियान्वित होता है.

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कंप्यूटर वायरस का इतिहास - History of Computer Virus in Hindi

वायरस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक विद्यार्थी फ्रेड कोहेन (Fred Cohen) ने अपने शोध पत्र में किया था. उन्होंने अपने शोध पत्र में यह दर्शाया था कि कैसे Computer Program लिखा जाए जो कंप्यूटर में घुसकर उसकी प्रणाली पर आक्रमण करे, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार वायरस हमारे शरीर में घुसकर हमें संक्रमित करता है

सर्वप्रथम Computer Virus को ढूंढना अत्यंत ही कठिन कार्य था. इसके बारे में लोगों को 1980 के दशक तक पता नहीं था तथा लोग इस बात को भी स्वीकार करते थे कि इस तरह का कोई प्रोग्राम होता है, जो कंप्यूटर को बाधा पहुंचा सकता हो.

(C) Brain Virus - आधुनिक वायरस में (C) Brain नाम का पहला वायरस माना जाता है जो पूरे विश्व में बड़े स्तर पर फैला था. इस वायरस को एक समाचार का रूप मिला था, क्योंकि इस वायरस में वायरस बनाने वाले का नाम, पता तथा इसका विशेष अधिकार वर्ष 1986 मौजूद था. इस प्रोग्राम में दो भाइयों नाम, उनकी कंपनी का नाम तथा पूर्ण पता उपलब्ध था. उस समय वायरस बिल्कुल नया था और लोगों ने इसके बारे में बहुत गंभीरता से नहीं सोचा और न ही इसे गंभीरता से लिया.

Macintosh Peace Virus - सन 1998 के प्रारंभ में मैकिनटोश शांति वायरस (Macintosh Peace Virus) उभरा. यह वायरस मॉन्ट्रिएल स्थित एक पत्रिका मैकमैग (MacMag) के प्रकाशक रिचर्ड ब्रेनडो (Richard Brandow) की ओर से था. इस वायरस को मैकिनटोश ऑपरेटिंग सिस्टम को बाधित करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था तथा 2 मार्च, 1988 को निम्नलिखित संदेश स्क्रीन पर आया

''रिचर्ड ब्रेनडो, मैकमैग के प्रकाशक तथा इनके कर्मचारी दुनिया के समस्त मैकिनटोश प्रवक्ताओं को विश्व शांति का संदेश देना चाहते हैं'' (Richard Brandow, Publisher of MacMag, and its entire staff would like to take this opportunity to convey their Universal Message of Peace to all Macintosh Users around the world)

कई वायरस दिन प्रतिदिन समय के अनुसार आते गए तथा इससे बचने के लिए प्रयोक्ता ने इस समस्या का हल भी ढूँढना शुरू किया और तब वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर (Anti- Virus Softwares) का आविष्कार हुआ, जो आज अपने आप में एक संपूर्ण उद्योग है, परंतु जैसे-जैसे वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर बनते गए उसी गति से नए-नए वायरस भी बनाए जाने लगे. जब वायरस विरोधी सॉफ्टवेयर उद्योग ने समझ लिया कि अब उन्होंने इस पर नियंत्रण कर लिया है.

मैक्रो वायरस (Macro Virus) - तभी नए मैक्रो वायरस (Macro Virus) का उदय हुआ. सामान्य वायरस (Normal Virus) क्रियान्वयन योग्य फाइलों तथा सिस्टम क्षेत्र को संक्रमित करते थे, जबकि मैक्रो वायरस (Macro Virus) ने माइक्रोसॉफ्ट वर्ड (Microsoft World) की फाइलों को संक्रमित करना शुरू किया. इसके कारण बड़े स्तर पर समस्या आने लगी क्योंकि अधिकतर लोग E-Mail के द्वारा वर्ल्ड में लिखी हुए फाइलों का आदान प्रदान करते थे.



मैक्रो वायरस में सामान्य वायरस की अपेक्षा ज्यादा नुकसान या क्षति पहुँचाने की क्षमता बहुत अधिक थी. मैक्रो वायरस सीधे एप्लीकेशन प्रोग्राम (Application Programs) पर आक्रमण करते थे. जिसके कारण डाटा को नुकसान पहुँचने की संभावना बहुत अधिक थी. इस वायरस ने फिर एक बार पूरे एंटीवायरस उद्योग को एक नए प्रकार के Antivirus Software के विकास के लिए मजबूर किया.

वायरस कार्य कैसे करता है (How Computer Virus Works in Hindi)

Virus एक ऐसा Computer Program है. जिसमें स्वयं को दोगुना करने की क्षमता होती है, किन्तु वायरस एक कंप्यूटर प्रोग्राम है. इसकी भी दूसरे अन्य प्रोग्राम की तरह सीमाएं हैं. वायरस उतना ही कुछ कर सकता है. जितना इसके प्रोग्रामर ने प्रोग्राम के द्धारा इसमें निर्देश दिए हैं.

उदाहरणार्थ माइकल एन्जिलो वायरस (Michelangelo Virus) 6 मार्च को डाटा को नष्ट करता था, क्योंकि उसके प्रोग्रामर ने यह निर्देश इसमें प्रोग्राम किया था कि वह पहले यह निश्चित करें कि आज की दिनांक 6 मार्च है और यदि वह यह पता है कि आज 6 मार्च है तब वह डिस्क सेक्टर को दिए गए निर्देश से प्रतिस्थापित (Replaced) कर दे.

वायरस में अन्य प्रोग्रामों से भिन्न अपने आप को दोगुना/दोहराने की क्षमता होती है. सामान्य रूप से कोई प्रोग्राम तब दोगुना होता है. जब हम उसके लिए वैसा निर्देश देते हैं. जैसे की कॉपी कमांड (Copy Command) किसी विशेष फाइल की एक प्रति (Copy) बनाने के लिए दी जाती है.

जैसा की आप जानते हैं कि कोई प्रोग्राम स्वयं ही (Executed) नहीं हो जाते, जब तक की हम ऐसा करने का कोई निर्देश ना दें. ठीक उसी प्रकार वायरस प्रोग्राम भी या तो प्रयोक्ता के द्वारा सीधे-सीधे क्रियान्वित होता है या User द्धारा कोई अन्य प्रोग्राम क्रियान्वित करने पर.

प्रश्न यह है कि कोई भी User किसी Virus को अपने ही Computer पर क्रियान्वित क्यों करेगा. इसके लिए वायरस निर्माता (Virus Maker) ऐसी तकनीक का प्रयोग करते हैं. जिससे कि User को मूर्ख बनाकर वायरस का क्रियान्वयन (Implementation) करवाया जा सके. अधिकतर परिस्थितियों में वायरस पहले से मौजूद क्रियान्वयन योग्य फाइल (Executable File) में रहते हैं तथा जब वह फाइल क्रियान्वित करते हैं तो साथ-साथ वायरस कोड भी क्रियान्वित हो जाते हैं.

एक बार जब User द्धारा वायरस प्रोग्राम क्रियान्वित हो जाता है, तो यह पूरे System में फैल जाता है तथा उस प्रोग्राम में उपलब्ध निर्देशानुसार पूरे सिस्टम को क्षति/हानि पहुंचाना प्रारंभ करता है. आमतौर पर Virus Program धीरे-धीरे अपने आप को दूसरे क्रियान्वयन योग्य फाइलों (Executable Files) में कॉपी करना प्रारंभ कर देता हैं और इस तरह उन फाइलों को जब User द्धारा क्रियान्वित (Open/Run) किया जाता है. तब यह पूरे सिस्टम में  फैलते जाते हैं.

अब आपको यह समझ आ गया होगा की वायरस के संक्रमण के लिए उसका क्रियान्वित होना आवश्यक है.

कंप्यूटर में वायरस फैलता कैसे है (How Virus Spread in Computer in Hindi)

कंप्यूटर भी इंसानी शरीर की तरह होता है. कंप्यूटर में भी हमारे शरीर की तरह अलग-अलग पार्ट/भाग होते है. जैसे हमारे किसी भाग/पार्ट में अगर कोई तकलीफ है तो हमारी पूरी बॉडी ही परेशान होती है. इसी तरह कंप्यूटर के भी किसी हिस्से में अगर Virus है तो वह धीरे-धीरे पूरे कंप्यूटर के भागो में फैल जाता है. Computer में Virus किस-किस तरह से आता है और अपनी जगह बना लेता है.

चोरी की गई सॉफ्टवेयर से (Using a Pirated Software) - जब कोई सॉफ्टवेयर गैर कानूनी ढंग से प्राप्त किया गया हो, तो इसे चोरी की गई सॉफ्टवेयर (Pirated Software) कहते हैं. पायरेटेड सॉफ्टवेयर सर्वाधिक तोर पर वायरस संक्रमित (Virus infected) पाया जाता है. जैसाकि यह अनाधिकृत स्त्रोत (Unauthorized Sources) से प्राप्त किया होता है.

नेटवर्क प्रणाली से (Through Network System) - नेटवर्क पर जब कोई क्लाइंट (Client) संक्रमित  (Infected) हो जाता है तथा यह दूसरे क्लाइंट के साथ जुड़ा हुआ होता है, तब यह पूरे Network पर वायरस के संक्रमण (Virus infection) का कारण बनता है.

द्धितीयक संग्रह माध्यम से (Through Secondary Storage Device) - जब कोई डाटा किसी संक्रमित द्धितीयक संग्रह माध्यम (Infected Secondary Storage Medium) से स्थानांतरित (Transferred) या कॉपी किया जाता है, तो अगर उसमे पहले से वायरस है तो उसका वायरस भी स्थानांतरित हो जाता है तथा संक्रमण (infection) का कारण बनता है.

इंटरनेट से (Through Internet) - आज इंटरनेट को वायरस संक्रमण का मुख्य वाहक (Carrier) माना जाता है. वायरस निर्माता भी इंटरनेट का प्रयोग वायरस फैलाने के लिए कर करते हैं.

वायरस का नाम या नामकरण कैसे होता है (How Virus is Names in Hindi)

Computer में वायरस के अच्छे-अच्छे नाम (Names) होते है जैसे लूसीफर (Lucifer), इदी (Eddie), डिस्क वाशर (Disk Washer) प्रयोक्ता (User) को अचंभित करते हैं कि आखिर इन Virus को नाम कैसे दिया जाता है.

अधिकतर उदाहरणों में, वायरस को नाम वह लोग देते हैं जो इसका पता लगाते हैं. वायरस निरोधक प्रोग्रामर्स (Anti-Virus Programmers) नाम का निर्णय वायरस कोड (Virus Code), उसके कार्य, वायरस कोड का आकार, वायरस का अतिरिक्त प्रभाव (Additional Effects)  तथा वायरस कोड (Virus Code) के दौरान दिए गए संदेश (Message) के आधार पर देते हैं.

इन सबके बाद भी यदि वायरस का उपयुक्त और सही नाम उपरोक्त आधार पर नहीं मिल पाता है. तो इसको कोई भी नाम एंटीवायरस प्रोग्रामर के द्धारा इसके पहचान के उद्देश्य (Purpose) से दे दिया जाता है. उदाहरण स्वरूप डिस्क वाशर (Disk Washer) का नाम उसके अंदर के संदेश ''From Disk Washer with Love'' के आधार पर दिया गया था.

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि दो कार्यरत वायरस निरोधक व्यवसायिक (Anti-Virus Professional) एक ही वायरस का एक ही समय में पता लगाते हैं. इस स्थिति में एक ही वायरस की दो अलग नामों से पहचान होने लगती है. जैसे V3000 जो मैकेफी स्कैन (McAfee Scan) द्धारा नामकरण किया गया था. गुमनाम (GumNam) के नाम से भी जाना जाता है जो नैशॉट (Nashot) के द्धारा भी पता लगाया गया था.

एक ही वायरस के कई नामों द्धारा उत्पन्न हुई समस्या से User को बचाने के लिए कंप्यूटर एन्टी वायरस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (Computer Antivirus Research Organisation - CARO) अब इस प्रकार का मतभेद होने पर वायरस को एक मानक नाम देते हैं. जिससे वह पूरे विश्व में जाना जाता है.


किंतु कैरो (CARO) के द्धारा नामकरण से पहले वह कई नामों से जाने जा सकते हैं, जैसा कि उपरोक्त खंड में बताया जा चुका है परंतु जब कैरो (CARO) अपना एक मानक नाम (Standard Name) उसे दे देता है, तो इसके वह सभी नाम इसके उपनाम से जाने जाते हैं.

कुछ प्रचलित वायरसों का नाम और परिचय (Introduction and Names of a few Prominent Viruses)

आपको बता दे की कुछ बहोत प्रचलित वायरस थे या शायद अभी भी है. उनकी जानकारी भी आपको दे देते है. यहाँ आपको उन कंप्यूटर वायरस के नाम (Computer Virus Names) और उनका फुल परिचय दिया है.

माइकलएंजिलो (Michelangelo Virus) - अभी तक का सबसे अधिक कुख्यात वायरस माइकल एंजिलो का नाम ऐसा इसलिए पड़ा क्योंकि 6 मार्च को माइकलएंजिलो का जन्मदिन है, और यह  6 मार्च को ही डाटा को समाप्त करता है. कुछ वायरस निरोधक के द्धारा इसे ''6 मार्च का वायरस'' भी कहा जाता है.

इस वायरस का पता 1991 के मध्य में लगाया गया था तथा इसके बाद के सभी वायरस निरोधक सॉफ्टवेयर (Anti Virus Software) इसे समाप्त करने में सक्षम थे. इस वायरस के कुख्यात होने के पीछे यही कारण था कि बहुत सारे एंटीवायरस शोधकर्ताओं ने 6 मार्च को कंप्यूटर प्रणाली के व्यापक सर्वनाश की (गलत) भविष्यवाणी की थी. इस भविष्यवाणी का डर लोगों के दिल में 1990 के पूरे दशक तक प्रत्येक 6 मार्च को रहता था, जो बहुत बाद में समाप्त हुआ.

डिस्क वाशर (Disk Washer Virus) - डिस्क वॉशर वायरस का नाम इसके अंदर के संदेश 'Diskwasher' के कारण पड़ा. यह वायरस अत्यंत घातक था, जिसका पता भारत में 1993 के आखिरी महीनों में लगाया गया. यह वायरस डिस्क के द्धारा एक्सेस क्रिया की एक विशेष संख्या की प्रतीक्षा करता था तथा जब यह संख्या पूरी हो जाती थी, तब यह हार्ड डिस्क (Hard Disk) की निम्न स्तरीय फॉर्मेटिंग (Formatting) प्रारंभ करता और फॉर्मेटिंग के दौरान 'From Diskwasher with love' संदेश प्रदर्शित करता. यह वायरस इतना खतरनाक था कि यह हार्ड डिस्क में उपलब्ध सभी डाटा को ही समाप्त (Remove/Finished) कर देता था.

1994 तथा इसके बाद तैयार किए जाने वाले एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इस वायरस का पता लगाने तथा इसे समाप्त करने में सक्षम थे.

कंप्यूटर वायरस के कितने प्रकार होते है (Types of Computer Virus in Hindi)

वायरसों को बहुत सारे वर्गों (Types) में विभाजित किया जा सकता है. Computer Virus Many Types कंप्यूटर वायरस के बहोत सारे प्रकार होते है. यहां पर उनका वर्गीकरण उनके प्रभावित करने की विधि के आधार पर किया गया है. यह आगे पोस्ट में लिखित है.

  1. बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus) - इस प्रकार के वायरस फ्लॉपी तथा हार्ड डिस्क के बूट सेक्टर में संग्रहित (Stored) होते हैं. जब कंप्यूटर को प्रारंभ करते हैं, तब यह Operating System के लोड (Load) होने में बाधा डालते हैं और यदि किसी तरह ऑपरेटिंग सिस्टम कार्य करने लगता है. तब यह कंप्यूटर के दूसरे संग्रह संयंत्रों को बाधित करने लगते हैं.
  2. पार्टीशन टेबल वायरस (Partition Table Virus) - इस प्रकार के वायरस हार्ड डिस्क के विभाजन तालिका (Partition Table) को नुकसान पहुंचाते हैं. इनसे कंप्यूटर के डाटा को कोई डर नहीं होता. यह हार्ड डिस्क के मास्टर बूट रिकॉर्ड (Master Boot Record) को प्रभावित करते हैं तथा निम्नलिखित परिणाम उत्पन्न करते हैं.
    • यह मास्टर बूट रिकॉर्ड के उच्च प्राथमिकता वाले स्थान पर अपने आप को क्रियान्वित करते हैं.
    • यह रैम (RAM) की क्षमता को कम कर देते हैं.
    • यह डिस्क के इनपुट/आउटपुट नियंत्रण प्रोग्राम में त्रुटि उत्पन्न करते हैं.
  3. फाइल वायरस (File Virus) - इस प्रकार के वायरस क्रियान्वयन योग्य फाइलों के साथ सम्मिलित हो जाते हैं. जब EXE फाइल क्रियान्वित होती हैं, तब वायरस भी क्रियान्वित होकर कंप्यूटर प्रणाली को प्रभावित करते हैं.
  4. गुप्त वायरस (Stealth Virus) - गुप्त वायरस अपने नाम के अनुसार Computer में User से अपनी पहचान छिपाने की हर संभव प्रयास करते हैं.
  5. पोलीमॉर्फिक वायरस (Polymorphic Virus) - यह वायरस अपने आपको बार-बार बदलने की क्षमता रखते हैं, ताकि प्रत्येक संक्रमण वास्तविक संक्रमण से बिल्कुल अलग दिखे. ऐसे वायरसों को रोकना अत्यंत कठिन होता है, क्योंकि प्रत्येक बार वह बिल्कुल अलग होते हैं.
  6. मैक्रो वायरस (Macro Virus) - मैक्रो वायरस विशेष रूप से कुछ विशेष प्रकार की फाइल जैसे डॉक्यूमेंट (Document), स्प्रेडशीट (Spreadsheet) इत्यादि को हानि/क्षतिग्रस्त करने के लिए होते हैं. मैक्रो वायरस, Macro Program के रूप में छिपे होते हैं तथा इनके प्रयोग करने पर डाटा को नुकसान पहुँचाते हैं.

कंप्यूटर वायरस से संबंधित सिद्धान्त (Concepts of Computer Virus in Hindi)

वास्तविक (Real) कंप्यूटर वायरस के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी वायरस से मिलते-जुलते प्रोग्राम है. जो सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन इनके हानि पहुंचाने की विधि अलग होती है. इस विषय पर अधिक जानने के लिए यह आवश्यक है की इन सिद्धांतों की जानकारी भी हो. इन सिद्धांतों की चर्चा आगे की जा रही है.

  1. ट्रोजन (Trojans)
  2. बम (BOM)


ट्राजन (Trojans) - ट्रोजन ऐसा प्रोग्राम है जो कुछ उपयोगी तथा लाभकारी कार्य करने का दावा करता है तथा क्रियान्वित किए जाने पर सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. कुछ इस प्रकार के वायरस क्रियान्वित होते ही अपना कार्य नहीं करते, बल्कि एक विशेष परिस्थिति (जैसे कोई विशेष दिनांक आदि) आने के बाद सक्रिय होते हैं तथा कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाते हैं. जैसे हार्ड डिस्क को फॉर्मेट करना इत्यादि।

ट्रोजन वायरस अपने आप को दुगना करने की क्षमता नहीं रखते है, इसलिये इन्हें कंप्यूटर वायरस की संज्ञा नहीं दी जा सकती है, परन्तु यह भयंकर क्षति पहुंचाने की क्षमता रखते हैं तथा इसे वास्तविक वायरस की अपेक्षा लिखना भी आसान है. नौसिखिया (Learners) भी इसे लिखकर, इसके प्रयोग दूसरे कंप्यूटर पर करते हैं.

ट्रोजन का एक बढ़िया उदाहरण पीकेजेड PKZ300 है. जिसको कई Users ने यह समझकर Download किया कि यह PKZIP का नया संस्करण होगा.

बम (BOM) - बम सामान्य प्रोग्राम मैं छुपा हुआ एक नित्य कर्म (Routine) होता है. बम किसी क्रोधित कर्मचारी अथवा विनोदी स्वभाव के मनुष्य द्धारा कार्यान्वित किया जा सकता है. सॉफ्टवेयर में बम को भी डालने के उदाहरण मिलते हैं ताकि यदि चोरी की हुई Software का प्रयोग किया जाए तो बम उस प्रति (Copy) को हार्ड डिस्क से मिटा दे. वायरस और ट्रोजन की तरह ही User बम की भी उपेक्षा (Ignore) करते हैं, क्योंकि इसमें भी खतरा उत्पन्न करने की क्षमता होती है.

एनसी (ANSI) बम या अक्षर (Letter) बम प्रदर्शन योग्य टेक्स्ट सामग्री होती है. जिसमें एनसी 'की' के पूर्ण परिभाषित कोड होते हैं. जो हानिकारक कार्य को संपन्न करने के लिए Keys को दोबारा Program करते हैं. उदाहरण के लिए एनसी (ANSI) बम F3 कुंजी (Key) को फॉर्मेट कमांड के लिए परिभाषित कर सकता है और प्रयोक्ता द्धारा F3 Key के दबाए जाने पर यह डिस्क फॉर्मेट का कारण बनता है.

कंप्यूटर में वायरस निरोधक प्रोग्राम (Anti Virus Programs in Computer in Hindi)

यह सही है कि वायरस के आविष्कार के साथ ही पारंपरिक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Traditional Application Software) के साथ ही वायरस निरोधक सॉफ्टवेयर (Anti Virus Software) ने अपना एक उद्योग जगत स्थापित किया है. Computer Virus को खोजने तथा उन्हें समाप्त करने के लिए कई उपाय (Tools) है. जिनका विवरण निम्नलिखित है

  1. प्रीवेंटर (Preventers)
  2. चेक समर (Check Summers)
  3. स्कैनर (Scanners)
  4. रिमूवर (Removers)
  5. नोर्टन एन्टी-वायरस (NORTON Anti-Virus)

प्रिवेंटर (Preventers) - एंटीवायरस प्रोग्राम की एक श्रेणी वैसे प्रोग्रामों पर आधारित है. जो वायरस प्रोग्राम को कंप्यूटर के अंदर प्रवेश होने से रोकता है. जब तक कंप्यूटर संक्रमित ना हो तब तक वायरस नहीं फैलेंगे. निरोधक प्रोग्राम (Anti Virus Programs) का कार्य प्रोग्राम क्रियान्वयन के दौरान वायरस रूपी व्यवहार को देखना है.

निरोधक प्रोग्राम (Anti Virus) के लाभ बहुत हैं, परंतु यह अपने लिए मेमोरी में स्थान घेरते हैं और कंप्यूटर सिस्टम की गति (Speed) को भी कम करते हैं तथा नए वायरसों को पकड़ पाने में भी बहुत अधिक सक्षम नहीं होते. किंतु, इस प्रकार के प्रोग्राम कम समय के उपचार के लिए तथा द्रढ़ वायरस संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए उपयोगी है.

ये अधिकतर एंटीवायरस पैकेज (Anti Virus Package) निरोधक प्रोग्राम (Anti Virus Program) के साथ आते हैं. जो सिस्टम को वायरस संक्रमित होने से पहले वायरस को ढूंढने में सहायक होते हैं.

चेक समर (Check Summers) - चेक समर का प्रयोग क्रियान्वयन योग्य फाइलों की सामग्री में वृद्धि की सूचना देते हैं. जब कोई वायरस कंप्यूटर के अंदर प्रवेश करता है, तो वह आवश्यक रूप से क्रियान्वयन फाइलों (Executable Files) में बदलाव लाता है.

इस अवस्था में Check Summer प्रत्येक क्रियान्वयन योग्य फाइलों से जुड़ी हुई चेक सम (Check Sum) अथवा CRC (Cyclic Redundancy Check) से संबंधित सूचना को रखता है तथा कोई भी बदलाव होने पर User को सूचित करता है.

चेक समर User को केवल बदलाव के संबंध में सूचित कर सकता है परंतु यह किसी भी प्रकार के वायरस संक्रमण (Virus infection) से कंप्यूटर की सुरक्षा नहीं कर सकता है. गुप्त वायरस (Stealth Viruses) के प्रवेश को चेक समर जानने में सक्षम नहीं होता है. अधिकतर निरोधक प्रोग्राम में चेक समर की सुविधा होती है.

स्केनर (Scanners) - स्केनर प्रोग्राम मेमोरी में तथा प्रोग्राम फाइलों में उपस्थित वायरस की उपस्थिति के बारे में प्रयोक्ता को बताते हैं तथा यह भी निश्चित करते हैं कि कंप्यूटर संक्रमित है या नहीं. अधिकतर Scanner मेमोरी तथा फाइल दोनों की जांच करते हैं. स्कैनर केवल संक्रमण की सूचना देते हैं तथा वह संक्रमण को समाप्त नहीं कर सकते.

रिमूवर (Removers) - जब कोई कंप्यूटर प्रणाली वायरस से ग्रस्त हो जाती है, तो उस स्थिति से निपटने के लिए कुछ विशेष कंप्यूटर प्रोग्राम होते हैं. जो पहले पूरे सिस्टम में वायरस की जांच करते हैं तथा बाद में वायरस को समाप्त कर इसे ठीक करते हैं. इस प्रकार के प्रोग्राम को वायरस विरोधी प्रोग्राम (Anti-Virus Programs) कहते हैं. नॉर्टन एंटीवायरस प्रोग्राम (NORTON ANTI-VIRUS Program) इन प्रोग्रामों में एक लोकप्रिय नाम है. जिसका विवरण आगे उपलब्ध है.

नॉर्टन एंटीवायरस (Norton Anti-Virus) - नॉर्टन एंटीवायरस (NAV) के द्धारा अधिकांश वायरस को पकड़ा जा सकता है. यह ईमेल के द्धारा आए हुए वायरसों को भी आसानी से पकड़ सकता है. NAV का प्रमुख कार्य वायरस को पकड़कर उसे  हार्ड डिस्क से हटाना है. यदि NAV को पहले से ही क्रियान्वित कर दिया जाता है तो यह फाइलों को साथ के साथ जाँचता रहता है. जिससे सिस्टम में वायरस प्रविष्ट न हो सके.

मेरे प्यारे साथियों अब मुझे लगता है कि आप अच्छे से समझ गए होंगे कि What is Computer Virus in Hindi. कंप्यूटर वायरस क्या होता है. Types of Computer Virus in Hindi. कंप्यूटर वायरस कितने प्रकार के होते है. दोस्तों मेरी इस पोस्ट में मेने कंप्यूटर वायरस के बारे में आपको पूरी डिटेल से बताया है, अगर पोस्ट अच्छी लगी हो तो कमेन्ट करके जरुर बताना. धन्यवाद

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